[Advaita-l] Are you familiar with this shloka?

Divya Meedin divyameedin at gmail.com
Sun Mar 29 00:33:19 EDT 2020


Namaste

The Shloka can be seen in two articles available for viewing online. Please
click the below links to access the same.

(1)
https://archive.org/details/ShankaraBiography/page/n9/mode/2up/search/vyaso

(2)
https://archive.org/details/Preceptors.of.Advaita/page/n416/mode/1up/search/vyaso

Also, a variant is found in Srimad Shankara Digvijaya of Sri Vidyaranya, in
the seventh Sarga "Vyasadarshanadicharitavarnanam" shloka 11.
https://archive.org/details/sankaradigvijayabookmarked/page/n76/mode/1up

Regards,
Divya

On Sun, Mar 29, 2020 at 10:01 AM Divya Meedin <divyameedin at gmail.com> wrote:

> Namaste
>
> The Shloka can be seen in two articles available for viewing online.
> Please click the below links to access the same.
>
> (1)
> https://archive.org/details/ShankaraBiography/page/n9/mode/2up/search/vyaso
>
> (2)
> https://archive.org/details/Preceptors.of.Advaita/page/n416/mode/1up/search/vyaso
>
> Also, a variant is found in Srimad Shankara Digvijaya of Sri Vidyaranya,
> in the seventh Sarga "Vyasadarshanadicharitavarnanam" shloka 11.
> https://archive.org/details/sankaradigvijayabookmarked/page/n76/mode/1up
>
> Screenshots are attached herewith for your convenience.
>
> Regards,
> Divya
>
>
>
>
>
>
>
> On Sun, Mar 29, 2020 at 8:01 AM V Subrahmanian via Advaita-l <
> advaita-l at lists.advaita-vedanta.org> wrote:
>
>> sribhrubhyo namah
>>
>> I saw a story in Hindi:  एक दिन सहसा एक वृद्ध ब्रह्मण उपस्थित हुये और एक
>> सूत्र के अर्थ पर शंका कर बैठे. शंकराचार्य ने उत्तर दिया. पुनः शंका हुई,
>> शास्त्रार्थ प्रारम्भ हो गया और वह आठ दिनों तक चलता रहा. पद्यपादाचार्य जो
>> आचार्य शंकर के काशी में प्रथम शिष्य थे और जिनका पूर्व नाम सनन्दन था,
>> आश्चर्यचकित थे. मेरे गुरुजी जैसे अद्वितीय विद्वान से इतने दिनों तक
>> शास्त्रार्थ करते रहने की क्षमता किसमें है.
>>
>> उन्होंने ध्यानसमाधि से देखा तो पता चला कि ये तो भगवान व्यास वृद्ध ब्राह्मण
>> के वेश में उपस्थित होकर शास्त्रार्थ कर रहे हैं. तत्क्षण उन्होंने हाथ
>> जोड़कर
>> स्तुति की —
>>
>> शंकरः शंकरः साक्षाद्
>>
>> व्यासो नारायणः स्वयम्.
>>
>> तयोर्विवादे सम्प्राप्ते न
>>
>> जाने किं करोम्यहम्..
>>
>> शंकराचार्य ने भगवान व्यास को पहचाना और उनके चरणों में गिर पड़े. अत्यंत
>> प्रसन्नता से श्री व्यास जी बोले —
>>
>> तुम्हारी आयु केवल सोलह वर्ष की है, वह समाप्त होने पर आयी है. सोलह वर्ष मैं
>> तुम्हें अपनी ओर से देता हूं. धर्म की स्थापना करो.
>>
>> आचार्य ने भगवान व्यास की आज्ञा का जीवन में अक्षरशः पालन किया. आचार्य जैसे
>> बालक को जन्म देकर हिन्दू जाति कृतकृत्य हुई.
>>
>>    Is this from any Shankara Vijaya?  Kindly give details.
>>
>> शंकरः शंकरः साक्षाद्
>>
>> व्यासो नारायणः स्वयम्.
>>
>> तयोर्विवादे सम्प्राप्ते न
>>
>> जाने किं करोम्यहम्..        Thanks.
>> _______________________________________________
>> Archives: http://lists.advaita-vedanta.org/archives/advaita-l/
>> http://blog.gmane.org/gmane.culture.religion.advaita
>>
>> To unsubscribe or change your options:
>> https://lists.advaita-vedanta.org/cgi-bin/listinfo/advaita-l
>>
>> For assistance, contact:
>> listmaster at advaita-vedanta.org
>>
>


More information about the Advaita-l mailing list