[Advaita-l] On the greatness of the name 'Uma' -Skanda Purana

V Subrahmanian v.subrahmanian at gmail.com
Sat Oct 5 13:04:40 EDT 2024


In the Skandapurana occurs these verses which hail the greatness of the
name 'Uma':

~ स्कन्दपुराणम्/खण्डः ४ (काशीखण्डः)/अध्यायः ०६६
https://sa.wikisource.org/s/fvq

उमानामामृतं पीतं येनेह जगतीतले ।।
न जातु जननीस्तन्यं स पिबेत्कुंभसंभव ।। ७६ ।।

"One who has drunk the nectar-like name of Uma (Parvati) never has to drink
from a mother's breasts again. (Meaning, they are freed from the cycle of
birth and death).

जिसने  उमा (पार्वती) के अमृत समान नाम का पान कर लिया है , उसे फिर कभी किसी
जननी के स्तनों से दुग्धपान नहीं करना पड़ता। (अर्थात वह  जन्म-मृत्यु के बंधन
से मुक्त हो जाता है)।

उमेतिद्व्यक्षरं मंत्रं योऽहर्निशमनुस्मरेत् ।।
न स्मरेच्चित्रगुप्तस्तं कृतपापमपि द्विज ।। ७७ ।।

If someone remembers the two-syllable mantra 'Uma' day and night, even if
they are a sinner, Chitragupta will not remember them."

यदि कोई दिन-रात "उमा" - इस द्वयक्षर मंत्र का स्मरण करता है, तो चाहे वह पापी
ही क्यों न हो, चित्रगुप्त उसका स्मरण नहीं करेंगे।

~ स्कन्दपुराणम्/खण्डः ४ (काशीखण्डः)/अध्यायः ०६६

[Quoted by Bhaskararaya Makhin in the Sri Lailtasahasranama bhasya]


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